Reseña del libro "Bharat Mein Europeeya Yatri"
रवि शंकर 'भारतीय धरोहर' पत्रिका के कार्यकारी संपादक और सभ्यता अध्ययन केंद्र, नई दिल्ली के शोध निदेशक हैं। राजनीति और समाजशास्त्र के साथ-साथ विज्ञान, धर्म, संस्कृति, दर्शन, योग और अध्यात्म में उनकी गहरी रुचि और पकड़ है। सभ्यतामूलक विषयों पर शोध और अध्ययनरत हैं। मूलत झारखंड के धनबाद शहर के निवासी हैं। रसायन शास्त्र से बी.एस-सी. ऑनर्स, पत्रकारिता में पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा, 'गांधियन थॉट' में स्नातकोत्तर किया। सात वर्ष झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में संघ के प्रचारक रहे। स्वामी जगदीश्वरानंद सरस्वती के मार्गदर्शन में उनके शिष्य आचार्य परमदेव मीमांसक के सान्निध्य में सांगोपांग वेदविद्यापीठ गुरुकुल में संस्कृत का अध्ययन किया। पाञ्चजन्य, हिंदुस्थान समाचार, भारतीय पक्ष, एकता चक्र, द कंप्लीट विजन, उदय इंडिया, डायलॉग इंडिया आदि विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में काम किया। गाय के आर्थिक, वैज्ञानिक, पर्यावरणीय आदि विभिन्न आयामों पर पाँच खंडों के शोध ग्रंथ का संकलन व संपादन। राष्ट्रवादी पत्रकारिता पर एक पुस्तक। अनेक शोधपरक आलेख प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। 'चाणक्य पथ' पुस्तक का संपादन।