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Bharat Ke Sarvochch Atmabalidani Shri Guru Tegabahaduraji
Kuldip Chand Agnihotri
(Autor)
·
Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.
· Tapa Blanda
Bharat Ke Sarvochch Atmabalidani Shri Guru Tegabahaduraji - Agnihotri, Kuldip Chand
Sin Stock
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Reseña del libro "Bharat Ke Sarvochch Atmabalidani Shri Guru Tegabahaduraji"
सप्तसिंधु क्षेत्र की कुछ घटनाएँ ऐसी हैं, जिन्होंने भारतवर्ष के इतिहास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इनमें सबसे पहली घटना तो सिंधु-सरस्वती सभ्यता का विकास है। दरअसल वर्तमान भारतीय विश्वासों, आस्थाओं एवं पूजा-पद्धति का आधार सिंधु-सरस्वती घाटी में ही मिलता है। इसके उपरांत वेद रचना का युग आता है। यह सिंधु-सरस्वती सभ्यता का अगला चरण है-गंभीर चिंतन का युग। इस युग के चिंतन ने भारतवर्ष को ही नहीं, बल्कि पूरे जंबूद्वीप को आच्छादित किया। कुरुक्षेत्र में हुआ महाभारत का युद्ध इस क्षेत्र की ऐसी घटना है, जिसने पूरे हिंदुस्तान को सप्तसिंधु के मैदान में लाकर खड़ा कर दिया था। बाद के काल में विदेशी आक्रांता येन-केन-प्रकारेण विजित प्रदेश के निवासियों को अपने मजहब में मतांतरित करने लगे थे। हमले क्योंकि सप्तसिंधु क्षेत्र से ही होते थे, इसलिए इसका सर्वाधिक दंश भी इसी क्षेत्र को सहना पड़ा। लेकिन इस नई आफत का सामना कैसे किया जाए, यह सबसे बड़ी चुनौती थी। इस मरहले पर दशगुरु परंपरा की शुरुआत एक दैवी योजना ही मानी जा सकती है। गुरु नानक देवजी इसके संस्थापक थे। दुर्भाग्य से दशगुरु परंपरा का मूल्यांकन आध्यात्मिक क्षेत्र में तो हुआ है,
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El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Blanda.
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