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Bahar Main Main Andar
Amit Srivastava
(Autor)
·
Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.
· Tapa Dura
Bahar Main Main Andar - Srivastava, Amit
Sin Stock
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Reseña del libro "Bahar Main Main Andar"
अमित इधर कविता के इलाके में कदम रखनेवाले प्रतिभावान युवा हैं। 'बाहर मैं...मैं अंदर...' उनका पहला संग्रह है। दो हिस्से हैं इसके, जिसमें 'मैं अंदर' की शीर्षकविहीन कविताएँ हैं, वह कवि का आत्म है, उसका व्यक्तित्व ही उन कविताओं का शीर्षक हो सकता था। इस 'अंदर' में छटपटाहट बाहर के दबावों की भी है। इस अंदर में वह खुद अपना ईश्वर है। हमारे भीतर के कई हमों को व्यक्त करती ये कविताएँ सामाजिक बयानों से उतनी दूर भी नहीं, जितना कवि ने अपने आमुख में बताया है। वहाँ उसे हिचकियाँ आती हैं, वहाँ फूटती बिवाइयों को बिना किसी दया के आग्रह के वह न सिर्फ एक नमकीन निराशा के साथ रहने देना चाहता है, बल्कि चाकू लेकर छीलने भी बैठ जाता है। 'बाहर' की कविता में अमरीका की दादागिरी के नाम एक क्षोभ पत्र है। कश्मीर से एक हालिया मुलाकात का ब्योरा है, जिसमें कश्मीरियों की गरीबी, झील की झल्लाहट और उस सुंदर प्रकृति की बेबसी के कई दुःखद बिंब हैं-यहाँ कश्मीर एक बेवा है, जो पानी के पन्ने पर तारीखें काढ़ा करती है और एक नाव वाला पूछता है कि अपने बच्चों को खाना किसे अच्छा लगता है...संग्रह में ऐसी और कितनी ही कविताएँ हैं, जो बताती हैं कि कवि जब बाहर होता है तो उसका तआल्लुक वैचारिक संघर्ष के किस स
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El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Dura.
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